Bhajan: कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना | Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Nirdhan Ke Ghar Bhi A Jana |
नमस्कार प्यारे साथियों माँ दुर्गा जी के प्रस्तुत भजन "कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना" जो भी भक्त गाते हैं वह माँ दुर्गा जी के असीम कृपा के पात्र हो जाते हैं। खासकर सुबह के समय यह भजन - Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Nirdhan Ke Ghar Bhi A Jana अवश्य सुनना चाहिए। इस भजन से व्यक्ति के घर की दरिद्रता भी दूर हो जाती हैं और माँ प्रशन्न भी रहती हैं, इसमें कोई संशय नहीं हैं।
Bhajan: कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना | Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Nirdhan Ke Ghar Bhi A Jana | |
Bhajan: कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना: Kabhi Fursat Ho To Jagdambe Nirdhan Ke Ghar Bhi A Jana
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे।।
निर्धन के घर भी आ जाना।।
जो रूखा सूखा दिया हमें।।
कभी उसका भोग लगा जाना।1।
ना छत्र बना सका सोने का।।
न चुनरी घर मेरे टारों जड़ी।।
ना पेड़े बर्फी मेवा है मां।।
बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े।।
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे! मां।।
इस विनती को न ठुकरा जाना।।
जो रूखा सूखा दिया हमें।।
कभी उसका भोग लगा जाना।2।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे।।
निर्धन के घर भी आ जाना।।
जिस घर के दिये में तेल नहीं।।
वहा ज्योति जगाऊं मैं कैसे।।
मेरा खुद ही बिछौना धरती पर।।
तेरी चौकी लगाऊं मैं कैसे।5।
जहां मैं बैठा वहीं बैठ के मां।।
बच्चों का दिल बहला जाना।।
जो रूखा सूखा दिया हमें।।
कभी उसका भोग लगा जाना।3।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे।।
निर्धन के घर भी आ जाना।।
तू भाग्य बनाने वाली है मां।।
मैं तकदीर का मारा हूं।।
हे दाती संभालो भिखारी को।।
आखिर तेरी आंख का तारा हूं।।
मैं दोषी तू निर्दोष है मां।।
मेरे दोषों को तू भुला जाना।4।
निर्धन के घर भी आ जाना।।
जो रूखा सूखा दिया हमें।।
कभी उसका भोग लगा जाना।5।
*जय*माता*दी*जय*माता*दी*जय*माता*दी*जय*माता*दी*जय*माता*दी*
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